Ye Kya Kya Dikhati Hai Ye Zindagi Songtext
von Pankaj Udhas
Ye Kya Kya Dikhati Hai Ye Zindagi Songtext
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
हँसने भी ना दे, रोने भी ना दे
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हम अपने ही घर से निकाले गए, हाँ, निकाले गए
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ख़ुदगर्ज़ी देखो कहाँ तक गिराती है
हर मोड़ पे नया रूप रचाती है
ख़ुदगर्ज़ी देखो कहाँ तक गिराती है
हर मोड़ पे नया रूप रचाती है
यहाँ पैसों के पीछे भागे हैं लोग
यहाँ दुनिया में शान और सोहरत का लोभ
यहाँ दुनिया में शान और सोहरत का लोभ
यहाँ झूठी है शान, यहाँ झूठा दिखावा
यहाँ झूठी है शान, यहाँ झूठा दिखावा
ख़ुद अपने आप को धोखा देते हैं लोग, ऐसे हैं लोग
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
मजबूरी देखो किस मोड़ पे लाए
ये दिन कभी दुश्मनों पे ना आए
मजबूरी देखो किस मोड़ पे लाए
ये दिन कभी दुश्मनों पे ना आए
यहाँ ग़ैरों से बत्तर देखे अपने लोग
यहाँ बिकती वफ़ाएँ, बिकते हैं लोग
यहाँ बिकती वफ़ाएँ, बिकते हैं लोग
ये दुनिया है नाटक, प्यार है खेल-तमाशा
ये दुनिया है नाटक, प्यार है खेल-तमाशा
इसे जैसा भी चाहे नचाते हैं लोग, नचाते हैं लोग
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
हँसने भी ना दे, रोने भी ना दे
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हम अपने ही घर से निकाले गए, हाँ, निकाले गए
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
हँसने भी ना दे, रोने भी ना दे
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हम अपने ही घर से निकाले गए, हाँ, निकाले गए
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ख़ुदगर्ज़ी देखो कहाँ तक गिराती है
हर मोड़ पे नया रूप रचाती है
ख़ुदगर्ज़ी देखो कहाँ तक गिराती है
हर मोड़ पे नया रूप रचाती है
यहाँ पैसों के पीछे भागे हैं लोग
यहाँ दुनिया में शान और सोहरत का लोभ
यहाँ दुनिया में शान और सोहरत का लोभ
यहाँ झूठी है शान, यहाँ झूठा दिखावा
यहाँ झूठी है शान, यहाँ झूठा दिखावा
ख़ुद अपने आप को धोखा देते हैं लोग, ऐसे हैं लोग
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
मजबूरी देखो किस मोड़ पे लाए
ये दिन कभी दुश्मनों पे ना आए
मजबूरी देखो किस मोड़ पे लाए
ये दिन कभी दुश्मनों पे ना आए
यहाँ ग़ैरों से बत्तर देखे अपने लोग
यहाँ बिकती वफ़ाएँ, बिकते हैं लोग
यहाँ बिकती वफ़ाएँ, बिकते हैं लोग
ये दुनिया है नाटक, प्यार है खेल-तमाशा
ये दुनिया है नाटक, प्यार है खेल-तमाशा
इसे जैसा भी चाहे नचाते हैं लोग, नचाते हैं लोग
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
हँसने भी ना दे, रोने भी ना दे
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हाए, हमसे तो रूठा हमारा नसीबा
हम अपने ही घर से निकाले गए, हाँ, निकाले गए
ये क्या-क्या दिखाती है ये ज़िंदगी
Writer(s): Mahendra Dehlvi Lyrics powered by www.musixmatch.com