Sagar Se Surahi Songtext
von Pankaj Udhas
Sagar Se Surahi Songtext
अच्छी सूरत को सँवरने की ज़ुरूरत क्या है
अच्छी सूरत को सँवरने की ज़ुरूरत क्या है
सादगी भी तो क़यामत की अदा होती है
पिलाना फ़र्ज़ था, कुछ भी पिला दिया होता
शराब कम थी तो पानी मिला दिया होता
साग़र से सुराही टकराती...
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
जीने की अदा से ना वाक़िफ़, इंसाँ को भी जीना आ जाता
जीने की अदा...
जीने की अदा से ना वाक़िफ़, इंसाँ को भी जीना आ जाता
थोड़ी सी अगर तुम दे देते...
थोड़ी सी अगर तुम दे देते, ज़ाहिद को भी पीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
क़िस्मत में ना थी ये दो रातें: इक प्यार की, एक तन्हाई की
क़िस्मत में ना थी ये दो रातें: इक प्यार की, एक तन्हाई की
एक रात में जीना आ जाता, एक रात में मरना आ जाता
एक रात में जीना आ जाता, एक रात में मरना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
...ढलका ना सके, छलका ना सके
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
हल्की सी अगर छलका देते...
हल्की सी अगर छलका देते, अनवर को भी पीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
...बादल को पसीना आ जाता
...बादल को पसीना आ जाता
अच्छी सूरत को सँवरने की ज़ुरूरत क्या है
सादगी भी तो क़यामत की अदा होती है
पिलाना फ़र्ज़ था, कुछ भी पिला दिया होता
शराब कम थी तो पानी मिला दिया होता
साग़र से सुराही टकराती...
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
जीने की अदा से ना वाक़िफ़, इंसाँ को भी जीना आ जाता
जीने की अदा...
जीने की अदा से ना वाक़िफ़, इंसाँ को भी जीना आ जाता
थोड़ी सी अगर तुम दे देते...
थोड़ी सी अगर तुम दे देते, ज़ाहिद को भी पीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
क़िस्मत में ना थी ये दो रातें: इक प्यार की, एक तन्हाई की
क़िस्मत में ना थी ये दो रातें: इक प्यार की, एक तन्हाई की
एक रात में जीना आ जाता, एक रात में मरना आ जाता
एक रात में जीना आ जाता, एक रात में मरना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
...ढलका ना सके, छलका ना सके
अफ़सोस तुम अपनी आँखों से ढलका ना सके, छलका ना सके
हल्की सी अगर छलका देते...
हल्की सी अगर छलका देते, अनवर को भी पीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते...
तुम ज़ुल्फ़ अगर लहरा देते सावन का महीना आ जाता
साग़र से सुराही टकराती, बादल को पसीना आ जाता
...बादल को पसीना आ जाता
...बादल को पसीना आ जाता
Writer(s): Pankaj Udhas, Anwar Farookhabadi Lyrics powered by www.musixmatch.com