Roz Mulaqatein Hoti Hain Songtext
von Pankaj Udhas
Roz Mulaqatein Hoti Hain Songtext
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
चंचल चाल हिरनिया जैसी भोली-भाली लगती है
रूप का सागर होकर भी वो सादेपन से सजती है
चंचल चाल हिरनिया जैसी भोली-भाली लगती है
रूप का सागर होकर भी वो सादेपन से सजती है
खिलकर फूल बिख़र जाते हैं, वो ऐसे मुस्काती है
खिलकर फूल बिख़र जाते हैं, वो ऐसे मुस्काती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
उसकी पायल की छन-छन से मौसम रंग बदलते हैं
उसकी बिंदिया की चम-चम से चाँद और तारे जलते हैं
उसकी पायल की छन-छन से मौसम रंग बदलते हैं
उसकी बिंदिया की चम-चम से चाँद और तारे जलते हैं
ख़ाबों में भी आ जाए तो मेरी नींद उड़ाती है
ख़ाबों में भी आ जाए तो मेरी नींद उड़ाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
चंचल चाल हिरनिया जैसी भोली-भाली लगती है
रूप का सागर होकर भी वो सादेपन से सजती है
चंचल चाल हिरनिया जैसी भोली-भाली लगती है
रूप का सागर होकर भी वो सादेपन से सजती है
खिलकर फूल बिख़र जाते हैं, वो ऐसे मुस्काती है
खिलकर फूल बिख़र जाते हैं, वो ऐसे मुस्काती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
उसकी पायल की छन-छन से मौसम रंग बदलते हैं
उसकी बिंदिया की चम-चम से चाँद और तारे जलते हैं
उसकी पायल की छन-छन से मौसम रंग बदलते हैं
उसकी बिंदिया की चम-चम से चाँद और तारे जलते हैं
ख़ाबों में भी आ जाए तो मेरी नींद उड़ाती है
ख़ाबों में भी आ जाए तो मेरी नींद उड़ाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
रोज़ मुलाक़ातें होती हैं, बात नहीं हो पाती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
वो पगली मुझसे मिलने को सखियों के संग आती है
Writer(s): Nikhil-vinay, Sunil Jogi Lyrics powered by www.musixmatch.com