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Kahin Door Jab Din Dhal Jaye (Female) Songtext
von Lata Mangeshkar

Kahin Door Jab Din Dhal Jaye (Female) Songtext

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख्यालों के आँगन में

कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

कभी यूँहीं, जब हुईं, बोझल साँसें
भर आई बैठे-बैठे, जब यूँ ही आँखें
कभी मचल के, प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र ना आए, नज़र ना आए


कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते
कहीं पे निकल आए, जनमों के नाते
घनी थी उलझन, बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये, दर्द पराये

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख्यालों के आँगन में

कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए

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