Aashiqui Mein Har Aashiq Songtext
von Sadhana Sargam
Aashiqui Mein Har Aashiq Songtext
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
निगाहें ना मिलती, ना ये प्यार होता
ना मैं तुझसे मिलती, ना इज़हार होता
निगाहें ना मिलती, ना ये प्यार होता
ना मैं तुझसे मिलती, ना इज़हार होता
मेरे आशिक़, मेरे दिलबर, मेरे जान-ए-जाँ
अब तेरे बिन इक पल ना जीना यहाँ
तुझसे मिल के जाने कैसा छाया है सुरूर
तुझसे मिल के जाने कैसा छाया है सुरूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
ना पूछो कि कैसी है ये बेक़रारी
मोहब्बत की प्यासी है ये दुनिया सारी
ना पूछो कि कैसी है ये बेक़रारी
मोहब्बत की प्यासी है ये दुनिया सारी
ना जाने दिल किस का कब खो जाए
बिन सोचे, बिन समझे प्यार हो जाए
हाँ, यही चाहत का अक्सर होता है दस्तूर
हाँ, यही चाहत का अक्सर होता है दस्तूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
निगाहें ना मिलती, ना ये प्यार होता
ना मैं तुझसे मिलती, ना इज़हार होता
निगाहें ना मिलती, ना ये प्यार होता
ना मैं तुझसे मिलती, ना इज़हार होता
मेरे आशिक़, मेरे दिलबर, मेरे जान-ए-जाँ
अब तेरे बिन इक पल ना जीना यहाँ
तुझसे मिल के जाने कैसा छाया है सुरूर
तुझसे मिल के जाने कैसा छाया है सुरूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
ना पूछो कि कैसी है ये बेक़रारी
मोहब्बत की प्यासी है ये दुनिया सारी
ना पूछो कि कैसी है ये बेक़रारी
मोहब्बत की प्यासी है ये दुनिया सारी
ना जाने दिल किस का कब खो जाए
बिन सोचे, बिन समझे प्यार हो जाए
हाँ, यही चाहत का अक्सर होता है दस्तूर
हाँ, यही चाहत का अक्सर होता है दस्तूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
आशिक़ी में हर आशिक़ हो जाता है मजबूर
इसमें दिल का, मेरे दिल का, इसमें दिल का क्या क़ुसूर?
Writer(s): Saifi Nadeem, Rathod Shravan, Pandy Sameer (t) Lyrics powered by www.musixmatch.com