Zinda Hoon Is Tarah - Aag Songtext
von Mukesh
Zinda Hoon Is Tarah - Aag Songtext
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
वो मुद्दतें हुई हैं किसी से जुदा हुए
वो मुद्दतें हुई हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
ख़ुद उसके पास ही मेरी नय्या गई नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
दिल का मु′आमला है, कोई दिल्लगी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
ये चाँद, ये हवा, ये फ़ज़ा सब हैं माँद-माँद
ये चाँद, ये हवा, ये फ़ज़ा सब हैं माँद-माँद
जब तू नहीं तो इनमें कोई दिलकशी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
वो मुद्दतें हुई हैं किसी से जुदा हुए
वो मुद्दतें हुई हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
ख़ुद उसके पास ही मेरी नय्या गई नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
दिल का मु′आमला है, कोई दिल्लगी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए...
ये चाँद, ये हवा, ये फ़ज़ा सब हैं माँद-माँद
ये चाँद, ये हवा, ये फ़ज़ा सब हैं माँद-माँद
जब तू नहीं तो इनमें कोई दिलकशी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ, मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
Writer(s): Behzad Lakhnavi, Ram Ganguly Lyrics powered by www.musixmatch.com