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Farishton Ki Nagri Men Songtext
von Mukesh

Farishton Ki Nagri Men Songtext

फरिश्तों की नगरी में मैं
आ गया हूँ मैं, आ गया हूँ
फरिश्तों की नगरी में मैं
आ गया हूँ मैं, आ गया हूँ
ये रानाइयाँ देख चकरा गया हूँ मैं
आ गया हूँ मैं, आ गया हूँ

यहाँ बसने वाले बड़े ही निराले
बड़े सीधे-सादे, बड़े भोले-भाले
पति-पत्नी मेहनत से करते हैं खेती
तो दादा को पोती सहारा है देती


यहाँ शीरी फरहाद कंधा मिला कर
हैं ले आते झीलों से नदियाँ बहा कर
ये चाँदी की नदियाँ बहे जा रही हैं
कुछ अपनी जुबाँ में कहे जा रही हैं

फरिश्तों की नगरी में मैं
आ गया हूँ मैं, आ गया हूँ

लिए मटकियाँ हिरनियाँ आ रही हैं
लिए मटकियाँ हिरनियाँ आ रही हैं
ये झूले पे दो बुलबुले गा रही हैं, हो

सरकार महल में भी आवे दो
सरकार महल में भी आवे दो
दिलदार महल में भी आवे दो
मन्ने लागे-लागे रैन जवाई महल में भी आवे दो
मन्ने लागे-लागे रैन जवाई महल में भी आवे दो

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