Diya Apni Khudi Ko Jo Hamne Mita Songtext
von Mukesh
Diya Apni Khudi Ko Jo Hamne Mita Songtext
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
वो जो पर्दा सा बीच में था, ना रहा
रहा परदे में अब वो ना पर्दानशीं
कोई दूसरा उसके सिवा ना रहा
रहा परदे में अब वो ना पर्दानशीं
कोई दूसरा उसके सिवा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
ना थी हाल की जब हमें अपने ख़बर
रहे देखते औरों के वो हुनर
ना थी हाल की जब हमें अपने ख़बर
रहे देखते औरों के वो हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र
तो निगाह में कोई बुरा ना रहा
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र
तो निगाह में कोई बुरा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
ज़फ़र आदमी, उसको ना जानिएगा
ज़फ़र आदमी, उसको ना जानिएगा
हो वो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा ना रही
जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा ना रहा
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा ना रही
जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
वो जो पर्दा सा बीच में था, ना रहा
रहा परदे में अब वो ना पर्दानशीं
कोई दूसरा उसके सिवा ना रहा
रहा परदे में अब वो ना पर्दानशीं
कोई दूसरा उसके सिवा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
ना थी हाल की जब हमें अपने ख़बर
रहे देखते औरों के वो हुनर
ना थी हाल की जब हमें अपने ख़बर
रहे देखते औरों के वो हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र
तो निगाह में कोई बुरा ना रहा
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र
तो निगाह में कोई बुरा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
ज़फ़र आदमी, उसको ना जानिएगा
ज़फ़र आदमी, उसको ना जानिएगा
हो वो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा ना रही
जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा ना रहा
जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा ना रही
जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा ना रहा
दिया अपनी खुदी को जो हमने मिटा
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