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Aasamaan Pe Hai Kudaa Aur Zamin Pe Ham (From ’Phir Subah Hogi’) Songtext
von Mukesh

Aasamaan Pe Hai Kudaa Aur Zamin Pe Ham (From ’Phir Subah Hogi’) Songtext

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

आजकल किसी को वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी कीजिए, रोकता नहीं
आजकल किसी को वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी कीजिए, रोकता नहीं
हो रही है लूट-मार, घट रहे हैं हम

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम


किसको भेजे वो यहाँ ख़ाक छानने?
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
किसको भेजे वो यहाँ ख़ाक छानने?
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगिनत, देवता हैं कम

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

जो भी है वो ठीक है, ज़िक्र क्यूँ करें?
हम ही सब जहान की फ़िक्र क्यूँ करें?
जो भी है वो ठीक है, ज़िक्र क्यूँ करें?
हम ही सब जहान की फ़िक्र क्यूँ करें?
जब उसे ही ग़म नहीं, क्यूँ हमें हो ग़म?

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