Rang Aur Noor Ki Barat Songtext
von Mohammed Rafi
Rang Aur Noor Ki Barat Songtext
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
मैंने जज़्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
मैंने जज़्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह
तेरे सेहरे की...
तेरे सेहरे की ये सौग़ात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
ये मेरे शेर मेरे आख़िरी नज़राने हैं
ये मेरे शेर मेरे आख़िरी नज़राने हैं
मैं उन अपनों में हूँ, जो आज से बेगाने हैं
बे-तअल्लुक़ सी मुलाक़ात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
सुर्ख़ जोड़े की तब-ओ-ताब मुबारक़ हो तुझे
सुर्ख़ जोड़े की तब-ओ-ताब मुबारक़ हो तुझे
तेरी आँखों का नया ख़्वाब मुबारक़ हो तुझे
मैं ये ख़्वाहिश, ये ख़यालात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे, तेरा प्यार उसी का हक़ है
मुझसे कह दे...
मुझसे कह दे, मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ? किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ? किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
मैंने जज़्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
मैंने जज़्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह
तेरे सेहरे की...
तेरे सेहरे की ये सौग़ात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
ये मेरे शेर मेरे आख़िरी नज़राने हैं
ये मेरे शेर मेरे आख़िरी नज़राने हैं
मैं उन अपनों में हूँ, जो आज से बेगाने हैं
बे-तअल्लुक़ सी मुलाक़ात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
सुर्ख़ जोड़े की तब-ओ-ताब मुबारक़ हो तुझे
सुर्ख़ जोड़े की तब-ओ-ताब मुबारक़ हो तुझे
तेरी आँखों का नया ख़्वाब मुबारक़ हो तुझे
मैं ये ख़्वाहिश, ये ख़यालात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे, तेरा प्यार उसी का हक़ है
मुझसे कह दे...
मुझसे कह दे, मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ?
रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ?
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ? किसे पेश करूँ?
किसे पेश करूँ? किसे पेश करूँ?
Writer(s): Madan Mohan, Ludiavani Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com