Pasina Pasina Songtext
von Mohammed Rafi
Pasina Pasina Songtext
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
जो पैदा हुए, भूख दर पे खड़ी थी
ग़रीबी की पाँव में बेड़ी पड़ी थी
जो पैदा हुए, भूख दर पे खड़ी थी
ग़रीबी की पाँव में बेड़ी पड़ी थी
था शायद वो रमज़ान का ही महीना
था शायद वो रमज़ान का ही महीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
मेरे साथ कब से सड़क चल रही है
बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर, बे-धड़क चल रही है
मेरे साथ कबसे सड़क चल रही है
बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर, बे-धड़क चल रही है
है दोनों की क़िस्मत में पत्थर का सीना
है दोनों की क़िस्मत में पत्थर का सीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
मुक़द्दर का लिखा किये जा रहे हैं
इस उम्मीद पर हम जिए जा रहे हैं
मुक़द्दर का लिखा किये जा रहे हैं
इस उम्मीद पर हम जिए जा रहे हैं
मिलेगी कभी मौत की भी हसीना
मिलेगी कभी मौत की भी हसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
जो पैदा हुए, भूख दर पे खड़ी थी
ग़रीबी की पाँव में बेड़ी पड़ी थी
जो पैदा हुए, भूख दर पे खड़ी थी
ग़रीबी की पाँव में बेड़ी पड़ी थी
था शायद वो रमज़ान का ही महीना
था शायद वो रमज़ान का ही महीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
मेरे साथ कब से सड़क चल रही है
बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर, बे-धड़क चल रही है
मेरे साथ कबसे सड़क चल रही है
बे-ख़ौफ़-ओ-ख़तर, बे-धड़क चल रही है
है दोनों की क़िस्मत में पत्थर का सीना
है दोनों की क़िस्मत में पत्थर का सीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
मुक़द्दर का लिखा किये जा रहे हैं
इस उम्मीद पर हम जिए जा रहे हैं
मुक़द्दर का लिखा किये जा रहे हैं
इस उम्मीद पर हम जिए जा रहे हैं
मिलेगी कभी मौत की भी हसीना
मिलेगी कभी मौत की भी हसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
हो गर्मी या सर्दी, पसीना-पसीना
ग़रीबों का जीना भी है कोई जीना
Writer(s): Rajinder Krishan, Ravi Shankar Lyrics powered by www.musixmatch.com