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Mere Mehboob Kahin Aur Songtext
von Mohammed Rafi

Mere Mehboob Kahin Aur Songtext

ताज तेरे लिए एक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही

मेरी महबूब, कहीं और मिला कर मुझ से
मेरी महबूब, कहीं और मिला कर मुझ से
मेरी महबूब...

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि सादिक़ ना थे जज़्बे उन के?
लेकिन उन के लिए तश्हीर का सामान नहीं
क्योंकि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे


मेरी महबूब, कहीं और मिला कर मुझ से
मेरी महबूब...

ये चमनज़ार, ये जमुना का किनारा, ये महल
ये चमनज़ार, ये जमुना का किनारा, ये महल
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार, ये महराब, ये ताक़
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक

मेरी महबूब, मेरी महबूब...
मेरी महबूब, कहीं और मिला कर मुझ से
मेरी महबूब, कहीं और मिला कर मुझ से
मेरी महबूब...

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