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Lahoo Ko Lahoo Pukarega (Part III) Songtext
von Mohammed Rafi

Lahoo Ko Lahoo Pukarega (Part III) Songtext

लहू को लहू पुकारेगा, लहू को लहू पुकारेगा
लहू को लहू पुकारेगा
जनम-जनम का बंधन रग-रग में मौजे मारेगा
लहू को लहू पुकारेगा, लहू को लहू पुकारेगा

इक सूरत के हो सकते हैं कैसे दो बेगाने?
इक सूरत के हो सकते हैं कैसे दो बेगाने?
आँखें तो पहचान रही हैं, लेकिन दिल ना माने

सच तो सच है, सच तो सच है
झूठ कहाँ तक अपने पाँव पसारेगा?
लहू को लहू पुकारेगा, लहू को लहू पुकारेगा


कहाँ बिछड़ी और कहाँ पे आज मिली संतान
कहाँ बिछड़ी और कहाँ पे आज मिली संतान
दिल ही दिल में उमड़ रहा है ममता का तूफ़ान

आँसू तो, आँसू तो पी जाए कोई
जी को कैसे मारेगा?
लहू को लहू पुकारेगा, लहू को लहू पुकारेगा

ख़ून की दो बूँदों का संगम राखी का है बंधन
ख़ून की दो बूँदों का संगम राखी का है बंधन
ये क्या जाने एक गोद में खेला इनका बचपन

अब तक जीत, हो, अब तक जीत समय की
लेकिन समय भी एक दिन हारेगा
लहू को लहू पुकारेगा, लहू को लहू पुकारेगा

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