Kya Miliye Aise Logon Se Songtext
von Mohammed Rafi
Kya Miliye Aise Logon Se Songtext
क्या मिलिए...
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
खुद से भी जो खुद को छुपाए, क्या उन से पहचान करें
क्या उन के दामन से लिपटें, क्या उन का अरमान करें
खुद से भी जो खुद को छुपाए, क्या उन से पहचान करें
क्या उन के दामन से लिपटें, क्या उन का अरमान करें
जिन की आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
दिलदारी का ढोंग रचा कर जाल बिछाएँ बातों का
जीते-जी का रिश्ता कह कर सुख ढूँढें कुछ रातों का
दिलदारी का ढोंग रचा कर जाल बिछाएँ बातों का
जीते-जी का रिश्ता कह कर सुख ढूँढें कुछ रातों का
रूह की हसरत लब पर आए, जिसम की हसरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
जिन के ज़ुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती, हर गाँव में
दया-धरम की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में
जिन के ज़ुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती, हर गाँव में
दया-धरम की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में
दान का चर्चा घर-घर पहुँचे, लूट की दौलत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
देखें इन नक़ली चेहरों की कब तक जय-जयकार चले
उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले
देखें इन नक़ली चेहरों की कब तक जय-जयकार चले
उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले
कब तक लोगों की नज़रों से छुपी हक़ीक़त छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
खुद से भी जो खुद को छुपाए, क्या उन से पहचान करें
क्या उन के दामन से लिपटें, क्या उन का अरमान करें
खुद से भी जो खुद को छुपाए, क्या उन से पहचान करें
क्या उन के दामन से लिपटें, क्या उन का अरमान करें
जिन की आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
दिलदारी का ढोंग रचा कर जाल बिछाएँ बातों का
जीते-जी का रिश्ता कह कर सुख ढूँढें कुछ रातों का
दिलदारी का ढोंग रचा कर जाल बिछाएँ बातों का
जीते-जी का रिश्ता कह कर सुख ढूँढें कुछ रातों का
रूह की हसरत लब पर आए, जिसम की हसरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
जिन के ज़ुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती, हर गाँव में
दया-धरम की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में
जिन के ज़ुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती, हर गाँव में
दया-धरम की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में
दान का चर्चा घर-घर पहुँचे, लूट की दौलत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
देखें इन नक़ली चेहरों की कब तक जय-जयकार चले
उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले
देखें इन नक़ली चेहरों की कब तक जय-जयकार चले
उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले
कब तक लोगों की नज़रों से छुपी हक़ीक़त छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फ़ितरत छुपी रहे
नक़ली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
Writer(s): Laxmikant Pyarelal, Ludiavani Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com