Khudaya Khair Songtext
von Mohammed Rafi
Khudaya Khair Songtext
फूलों से मुखड़े वाली
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
ले थाम ले मेरी बाँहें
ऊँची-नीची हैं राहें
कहीं फ़िसल ना जाए पैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
क्या हाल नज़ारों का होगा?
क्या रंग बहारों का होगा?
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
क्या इश्क़ के मारों का होगा?
मतवाले नैन हैं ऐसे
तालाब में यारों जैसे
दो फूल रहे हो तैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
हर एक अदा मस्तानी हैं
ये अपने वक़्त की रानी है
जो पहली बार सुनी मैंने
जो पहली बार सुनी मैंने
ये वो रंगीन कहानी है
मौजों की तरह चलती है
शबनम सी ये जलती है
कलियों से है बैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
फूलों से मुखड़े वाली
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
ओ, कहीं फ़िसल ना जाए पैर, ख़ुदाया ख़ैर
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
ले थाम ले मेरी बाँहें
ऊँची-नीची हैं राहें
कहीं फ़िसल ना जाए पैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
क्या हाल नज़ारों का होगा?
क्या रंग बहारों का होगा?
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
क्या इश्क़ के मारों का होगा?
मतवाले नैन हैं ऐसे
तालाब में यारों जैसे
दो फूल रहे हो तैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
हर एक अदा मस्तानी हैं
ये अपने वक़्त की रानी है
जो पहली बार सुनी मैंने
जो पहली बार सुनी मैंने
ये वो रंगीन कहानी है
मौजों की तरह चलती है
शबनम सी ये जलती है
कलियों से है बैर, ख़ुदाया ख़ैर
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
फूलों से मुखड़े वाली
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर, ख़ुदाया ख़ैर
ओ, कहीं फ़िसल ना जाए पैर, ख़ुदाया ख़ैर
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma Lyrics powered by www.musixmatch.com