Songtexte.com Drucklogo

Kauva Chala Hans Ki Chaal Songtext
von Mohammed Rafi

Kauva Chala Hans Ki Chaal Songtext

कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला

कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला

कौआ चला हँस की चाल

दुनिया-भर की सैर को, देखो, निकला है ये कौआ
उड़ते-उड़ते इस नगरी में आ पहुँचा है कौआ
बुलबुल का हर गीत चुरा कर गाता है ये कौआ
औरों की नक्काली करके जीता है ये कौआ

कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला


कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला

कौआ चला हँस की चाल

पैसा-वैसा पास नहीं है, भूखा है बेचारा
मंज़िल-मंज़िल पेट के ख़ातिर फिरता है आवारा
औरों की जो रीस करेगा, वो तो है दीवाना
पत्थर कैसे बन सकता है चाँदी का पैमाना

कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला

कौआ चला हँस की चाल
आख़िर भूला अपनी चाल
अपनी चाल को भूला
लोगों, अपनी चाल को भूला

कौआ चला हँस की चाल

बचाओ! बचाओ!
मैं फँस तो गया ना
लो कुछ हो गया ना


अरे, हजरब्बा, मुझे टोनियों से बचाओ
ए हजरब्बा, मुझे इन टोपियों से बचाओ
मर गया, बचाओ मुझे

Songtext kommentieren

Log dich ein um einen Eintrag zu schreiben.
Schreibe den ersten Kommentar!

Fans

»Kauva Chala Hans Ki Chaal« gefällt bisher niemandem.