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Ishq Ki Garmiye Jazbaat Songtext
von Mohammed Rafi

Ishq Ki Garmiye Jazbaat Songtext

इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ?
ये सुलगते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए...

तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
वो तसव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ?
वो तसव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए...


ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ?
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए...

कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ?
इश्क़ की गर्मी-ए...

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