Dukh Sukh Donon Tan Ke Kapde Songtext
von Mohammed Rafi
Dukh Sukh Donon Tan Ke Kapde Songtext
दुख-सुख दोनों तन के कपड़े
किस कारण पहनाए
किस कारण पहनाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
वो चाहे तो प्यासा मारे
चाहे तो प्यास बुझाएँ
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तेरे मन की ख़ातिर, पगले, तन का बिछा बिछौना
तेरे मन की ख़ातिर, पगले, तन का बिछा बिछौना
जब तक चाबी भरी प्रभु ने, तब तक चले खिलौना
तैसा नाचे माँस की पुतली
हो, तैसा नाचे माँस की पुतली
जैसा नाच नचाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
जल बिन मछली जी नहीं सकती, माँ बिन जिए ना बच्चा
जल बिन मछली जी नहीं सकती, माँ बिन जिए ना बच्चा
इंद्र उसका पानी भरता जिसका सिदक है सच्चा
वो चाहे तो गागर में भी
हो, वो चाहे तो गागर में भी
सागर को छलकाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
बेसमझों को समझ नहीं कब आएँ कैसी घड़ियाँ
बेसमझों को समझ नहीं कब आएँ कैसी घड़ियाँ
जेठ महीने में लग सकती हैं सावन की झड़ियाँ
कौन समय आकाश और धरती
हो, कौन समय आकाश और धरती
अपना ब्याह रचाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
वो चाहे तो प्यासा मारे
चाहे तो प्यास बुझाएँ
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
किस कारण पहनाए
किस कारण पहनाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
वो चाहे तो प्यासा मारे
चाहे तो प्यास बुझाएँ
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तेरे मन की ख़ातिर, पगले, तन का बिछा बिछौना
तेरे मन की ख़ातिर, पगले, तन का बिछा बिछौना
जब तक चाबी भरी प्रभु ने, तब तक चले खिलौना
तैसा नाचे माँस की पुतली
हो, तैसा नाचे माँस की पुतली
जैसा नाच नचाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
जल बिन मछली जी नहीं सकती, माँ बिन जिए ना बच्चा
जल बिन मछली जी नहीं सकती, माँ बिन जिए ना बच्चा
इंद्र उसका पानी भरता जिसका सिदक है सच्चा
वो चाहे तो गागर में भी
हो, वो चाहे तो गागर में भी
सागर को छलकाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
बेसमझों को समझ नहीं कब आएँ कैसी घड़ियाँ
बेसमझों को समझ नहीं कब आएँ कैसी घड़ियाँ
जेठ महीने में लग सकती हैं सावन की झड़ियाँ
कौन समय आकाश और धरती
हो, कौन समय आकाश और धरती
अपना ब्याह रचाए
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
वो चाहे तो प्यासा मारे
चाहे तो प्यास बुझाएँ
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
तुझे क्यूँ समझ ना आए?
Writer(s): Sonik Omi, Inderjit Singh Tulsi Lyrics powered by www.musixmatch.com