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Bhor Huyi Panchhi Nikle Songtext
von Mohammed Rafi

Bhor Huyi Panchhi Nikle Songtext

लो, भोर हुई, पंछी निकले
लो, भोर हुई, पंछी निकले
तलाश में दाने-दाने की
तलाश में दाने-दाने की

इंसान भी लो घर से निकला
इंसान भी लो घर से निकला
धुन रोटी-दाल कमाने की
धुन रोटी-दाल कमाने की
लो, भोर हुई...

चक्कर खाती दुनिया के संग
चक्कर खाती दुनिया के संग
हम सब क्यूँ चक्कर खाते हैं?
(हम सब क्यूँ चक्कर खाते हैं?)

ठोकर खाना और ठुकराना
ठोकर खाना और ठुकराना
क्या रीत यही है ज़माने की?
क्या रीत यही है ज़माने की?


(लो, भोर हुई, पंछी निकले)
(लो, भोर हुई, पंछी निकले)
(तलाश में दाने-दाने की)
(तलाश में दाने-दाने की)
लो, भोर हुई...

ये दौड़, धूप, रेला, ठेली
ये दौड़, धूप, रेला, ठेली
पर कल का ठिकाना कोई नहीं
पर कल का ठिकाना कोई नहीं

ऐ हमदम, आ, आवाज़ लगा
ऐ हमदम, आ, आवाज़ लगा
ये बेला जगन जगाने की
ये बेला जगन जगाने की

(लो, भोर हुई, पंछी निकले)
(लो, भोर हुई, पंछी निकले)
(तलाश में दाने-दाने की)
(तलाश में दाने-दाने की)
लो, भोर हुई...

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