Ajab Khel Kismat Ka Dekho Songtext
von Mohammed Rafi
Ajab Khel Kismat Ka Dekho Songtext
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
अजब खेल क़िस्मत का देखो काँटों-भरे जहान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
ये मासूम, ये नन्हे-मुन्ने, इनकी कौन ख़ता है?
घर से निकल कर कहाँ रुकेंगे, इनको नहीं पता है
इनको नहीं पता है
ममता रूठी...
ममता रूठी, चुभ गए काँटे फूलों की मुस्कान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
मैं हूँ अपना, ये है पराया, नहीं समझ ये पाएँ
इनका निर्मल प्यार है, जिसको देख बड़े शरमाएँ
देख बड़े शरमाएँ
जैसे बहता...
जैसे बहता एक ख़ून हो इन दोनों की जान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो काँटों-भरे जहान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
अजब खेल क़िस्मत का देखो काँटों-भरे जहान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
ये मासूम, ये नन्हे-मुन्ने, इनकी कौन ख़ता है?
घर से निकल कर कहाँ रुकेंगे, इनको नहीं पता है
इनको नहीं पता है
ममता रूठी...
ममता रूठी, चुभ गए काँटे फूलों की मुस्कान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
मैं हूँ अपना, ये है पराया, नहीं समझ ये पाएँ
इनका निर्मल प्यार है, जिसको देख बड़े शरमाएँ
देख बड़े शरमाएँ
जैसे बहता...
जैसे बहता एक ख़ून हो इन दोनों की जान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो काँटों-भरे जहान में
बिछड़ के डाली से दो कलियाँ उड़ती हैं तूफ़ान में
उड़ती हैं तूफ़ान में
अजब खेल क़िस्मत का देखो...
Writer(s): Bharat Vyas, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah Lyrics powered by www.musixmatch.com