Zaroorat Hai Zaroorat Hai Songtext
von Kishore Kumar
Zaroorat Hai Zaroorat Hai Songtext
ज़रूरत है, ज़रूरत है
सख़्त ज़रूरत है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े
हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े
हो ज़ुल्फ़ गालों से खेलती कि जैसे दिन रात से लड़े
अदाओं में बहार हो, निगाहों पे ख़ुमार हो
क़ुबूल मेरा प्यार हो तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
झटक के गेसू जहाँ चले तो साथ में आसमाँ चले
झटक के गेसू जहाँ चले तो साथ में आसमाँ चले
लिपट के फ़ित्ने भी पाँव से ये पूछते हों, कहाँ चले
प्यार से जो काम ले, हँस के सलाम ले
वो हाथ मेरा थाम ले तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
इतर में साँसें बसी-बसी, हो मस्तियों में रसी-रसी
इतर में साँसें बसी-बसी, हो मस्तियों में रसी-रसी
दराज़ पलकें झुकी-झुकी, भवें घनेरी कसी-कसी
फूलों में गुलाब हो, ख़ुद अपना जवाब हो
वो प्यार की किताब हो तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
हाँ-हाँ, एक श्रीमती की, हो-हो, कलावती की
सेवा करे जो पति की, ज़रूरत है, ज़रूरत है
ज़रूरत है, सख़्त ज़रूरत है
सख़्त ज़रूरत है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े
हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े
हो ज़ुल्फ़ गालों से खेलती कि जैसे दिन रात से लड़े
अदाओं में बहार हो, निगाहों पे ख़ुमार हो
क़ुबूल मेरा प्यार हो तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
झटक के गेसू जहाँ चले तो साथ में आसमाँ चले
झटक के गेसू जहाँ चले तो साथ में आसमाँ चले
लिपट के फ़ित्ने भी पाँव से ये पूछते हों, कहाँ चले
प्यार से जो काम ले, हँस के सलाम ले
वो हाथ मेरा थाम ले तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
इतर में साँसें बसी-बसी, हो मस्तियों में रसी-रसी
इतर में साँसें बसी-बसी, हो मस्तियों में रसी-रसी
दराज़ पलकें झुकी-झुकी, भवें घनेरी कसी-कसी
फूलों में गुलाब हो, ख़ुद अपना जवाब हो
वो प्यार की किताब हो तो क्या बात है
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
एक श्रीमती की, कलावती की
सेवा करे जो पति की
ज़रूरत है, ज़रूरत है, ज़रूरत है
हाँ-हाँ, एक श्रीमती की, हो-हो, कलावती की
सेवा करे जो पति की, ज़रूरत है, ज़रूरत है
ज़रूरत है, सख़्त ज़रूरत है
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan Lyrics powered by www.musixmatch.com