Chingari Koi Bhadke Songtext
von Kishore Kumar
Chingari Koi Bhadke Songtext
Hmm, चिंगारी कोई भड़के...
चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
पतझर जो बाग़ उजाड़े वो बाग़ बहार खिलाए
जो बाग़ बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाए?
हो, उसे कौन खिलाए?
हम से मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
हम से मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
लोगों की बात नहीं है, ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाए तो मीत जिया बहलाए
मनमीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए?
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िंदा हैं, ना पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
माना, तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
माना, तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मझधार में नय्या डोले तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोए, उसे कौन बचाए?
हो, उसे कौन बचाए?
चिंगारी...
Hmm-hmm-hmm
Hmm-hmm-hmm
Hmm-hmm-hmm
चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
पतझर जो बाग़ उजाड़े वो बाग़ बहार खिलाए
जो बाग़ बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाए?
हो, उसे कौन खिलाए?
हम से मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
हम से मत पूछो, "कैसे मंदिर टूटा सपनों का?"
लोगों की बात नहीं है, ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाए तो मीत जिया बहलाए
मनमीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए?
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
ना जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िंदा हैं, ना पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाए, उसे कौन बुझाए?
हो, उसे कौन बुझाए?
माना, तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
माना, तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मझधार में नय्या डोले तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोए, उसे कौन बचाए?
हो, उसे कौन बचाए?
चिंगारी...
Hmm-hmm-hmm
Hmm-hmm-hmm
Hmm-hmm-hmm
Writer(s): R.d. Burman, Anand Bakshi Lyrics powered by www.musixmatch.com