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Na Kal Ka Pata Songtext
von Kishore Kumar

Na Kal Ka Pata Songtext

कोई बात करे है बरसों की
कोई सोच रहा कल-परसो की
पर भाई मेरे सच तो है ये

ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?

कोई बात करे है बरसों की
कोई सोच रहा कल-परसो की
पर भाई मेरे सच तो है ये

ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?

जो अपनी क़िस्मत का लेखा है
किसने पढ़ा, किसने देखा है
हाथों में क़िस्मत जो पढ़ता है
झूठी कहानी वो गड़ता है
इंसाँ का कहा कब सच है हुआ


ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?

कोई बात करे है बरसों की
कोई सोच रहा कल-परसो की

ये वक़्त पल हर बदलता है
सुख-दुख के साँचे में ढलता है
छोड़ा नहीं वक़्त ने राम को
फिर आदमी का क्या अंजाम हो
कब जाने कहाँ क्या होगा यहाँ

ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?

कोई बात करे है बरसों की
कोई सोच रहा कल-परसो की

क्या मिलके जाने क्या खो जाए
कब जागी क़िस्मत भी सो जाए
हालात के साथ इंसाँ यहाँ
इक पल में क्या से क्या हो जाए
दुनिया में यहीं एक बात सही


ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?

कोई बात करे है बरसों की
कोई सोच रहा कल-परसो की
पर भाई मेरे सच तो है ये

ना कल का पता, ना पल का पता
ना कल का पता, ना पल का पता
फिर सोच रहा क्यों बरसों की?
फिर सोच रहा क्यों बरसों की? बरसों की

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