Kahta Hai Yeh Safar Songtext
von Kumar Sanu
Kahta Hai Yeh Safar Songtext
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
"ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
"ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
देखो जहाँ, जाओ जहाँ, मिल जाएगी वहाँ
हर चीज़ की दुकाँ
सिर्फ़ कहीं मिलता नहीं जज़्बात का निशाँ
हल्का सा भी निशाँ
बेगाने लोग हैं, अनजाने लोग हैं
"तमाम शहर में कहीं, मिलेगा प्यार ही नहीं
तमाम शहर में कहीं, मिलेगा प्यार ही नहीं
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
दुनिया में तुम कब से हो ग़ुम? किस राह थे चले?
आकाश के तले
चलते रहे, कम ना हुए मंज़िल के फ़ासले
ऐसे हैं फ़ासले
राहों की ठोकरें कहती हैं, "क्या करें?"
"खुला कोई भी दर नहीं, किसी के दिल में घर नहीं
खुला कोई भी दर नहीं, किसी के दिल में घर नहीं
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
"ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
"ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
ज़माने भर के ग़म लिए, उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
देखो जहाँ, जाओ जहाँ, मिल जाएगी वहाँ
हर चीज़ की दुकाँ
सिर्फ़ कहीं मिलता नहीं जज़्बात का निशाँ
हल्का सा भी निशाँ
बेगाने लोग हैं, अनजाने लोग हैं
"तमाम शहर में कहीं, मिलेगा प्यार ही नहीं
तमाम शहर में कहीं, मिलेगा प्यार ही नहीं
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
दुनिया में तुम कब से हो ग़ुम? किस राह थे चले?
आकाश के तले
चलते रहे, कम ना हुए मंज़िल के फ़ासले
ऐसे हैं फ़ासले
राहों की ठोकरें कहती हैं, "क्या करें?"
"खुला कोई भी दर नहीं, किसी के दिल में घर नहीं
खुला कोई भी दर नहीं, किसी के दिल में घर नहीं
तुम चले हो कहाँ?"
कहता है ये सफ़र, कहती है रहगुज़र
Writer(s): Javed Akhtar, Jatin Lalit Lyrics powered by www.musixmatch.com