Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho Songtext
von Jagjit Singh
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho Songtext
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते-पीते
बन जाएँगे ज़हर पीते-पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो?
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो?
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते-पीते
बन जाएँगे ज़हर पीते-पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो?
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो?
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो?
Writer(s): Kaifi Azmi, Jagjit Singh Lyrics powered by www.musixmatch.com