Pyar Ka Pahla Khat Songtext
von Jagjit Singh
Pyar Ka Pahla Khat Songtext
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
जिस्म की बात नहीं थी, उनके दिल तक जाना था
जिस्म की बात नही थी, उनके दिल तक जाना था
लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी
लाख करें कोशिश, खुलने में वक़्त तो लगता है
लाख करें कोशिश, खुलने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ लिया, लेकिन
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ लिया, लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
जिस्म की बात नहीं थी, उनके दिल तक जाना था
जिस्म की बात नही थी, उनके दिल तक जाना था
लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी
गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी
लाख करें कोशिश, खुलने में वक़्त तो लगता है
लाख करें कोशिश, खुलने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ लिया, लेकिन
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ लिया, लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
Writer(s): Jagjit Singh, Shahid Kabir Lyrics powered by www.musixmatch.com