Mehfil Mein Baar Baar Songtext
von Ghulam Ali
Mehfil Mein Baar Baar Songtext
महफ़िल
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
हम ने बचाई लाख मगर
हम ने बचाई लाख मगर, फिर उधर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन की नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
उन की नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गई
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उस बेवफ़ा की आँख से आँसू छलक पड़े
उस बेवफ़ा की आँख से आँसू छलक पड़े
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गई
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन के जमाल-ए-रुख़ पे उन्हीं का जमाल था
उन के जमाल-ए-रुख़ पे उन्हीं का जमाल था
वो चल दिए तो रौनक-ए-शाम-ओ-सहर गई
वो चल दिए तो रौनक-ए-शाम-ओ-सहर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन को ख़बर करो कि है ′बिस्मिल' क़रीब-ए-मर्ग
उन को ख़बर करो कि है ′बिस्मिल' क़रीब-ए-मर्ग
वो आएँगे ज़ुरूर जो उन तक ख़बर गई
वो आएँगे ज़ुरूर जो उन तक ख़बर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
हम ने बचाई लाख मगर
हम ने बचाई लाख मगर, फिर उधर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
हम ने बचाई लाख मगर
हम ने बचाई लाख मगर, फिर उधर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन की नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
उन की नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गई
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उस बेवफ़ा की आँख से आँसू छलक पड़े
उस बेवफ़ा की आँख से आँसू छलक पड़े
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गई
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन के जमाल-ए-रुख़ पे उन्हीं का जमाल था
उन के जमाल-ए-रुख़ पे उन्हीं का जमाल था
वो चल दिए तो रौनक-ए-शाम-ओ-सहर गई
वो चल दिए तो रौनक-ए-शाम-ओ-सहर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
उन को ख़बर करो कि है ′बिस्मिल' क़रीब-ए-मर्ग
उन को ख़बर करो कि है ′बिस्मिल' क़रीब-ए-मर्ग
वो आएँगे ज़ुरूर जो उन तक ख़बर गई
वो आएँगे ज़ुरूर जो उन तक ख़बर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
हम ने बचाई लाख मगर
हम ने बचाई लाख मगर, फिर उधर गई
महफ़िल में बार-बार किसी पर नज़र गई
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