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Phir Se Ud Chala Songtext
von Mohit Chauhan

Phir Se Ud Chala Songtext

फिर से उड़ चला
उड़ के छोड़ा है जहां नीचे
मैं तुम्हारे अब हूँ हवाले
अब दूर दूर लोग बाग़, मीलों दूर ये वादियाँ
फिर धुंआ धुंआ तन हर बदली चली आती है छूने
पर कोई बदली कभी कहीं कर दे तन गीला ये है भी ना हो
किसी मंज़र पर मैं रुका नहीं
कभी खुद से भी मैं मिला नहीं
ये गिला तो है, मैं खफ़ा नहीं
शहर एक से, गाँव एक से, लोग एक से, नाम एक


फिर से उड़ चला
मिट्टी जैसे सपने ये
कित्ता भी पलकों से झाड़ो
फिर आ जाते हैं
इतने सारे सपने
क्या कहूँ किस तरह से मैंने
तोड़े हैं, छोड़े हैं, क्यूँ?
फिर साथ चले, मुझे ले के उड़े ये क्यूँ?

कभी डाल डाल, कभी पात पात
मेरे साथ साथ फिरे दर दर ये
कभी सेहरा कभी सावन
बनूँ रावण क्यूँ मर मर के?
कभी डाल डाल, कभी पात पात
कभी दिन है रात कभी दिन दिन है
क्या सच है, क्या माया?
है दाता, है दाता

इधर उधर तितर बितर
क्या है पता हवा लिए जाए तेरी ओर
खींचे तेरी यादें, तेरी यादें
तेरी ओर

रंग बिरंगे वेहमों में
मैं उड़ता फिरूं
रंग बिरंगे वेहमों में
मैं उड़ता फिरूं

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