Mann Jaage Songtext
von Gajendra Verma
Mann Jaage Songtext
मन जागे सारी रात, मेरा दीवाना
मन माने ना ये बात कि वो था बेगाना
है खुद से ही ख़फ़ा-ख़फ़ा
क्या चाहिए, नहीं पता, बावरा
पाया जो ना चाहा, चाहा वो ना पाया
जिसके पीछे भागे वो साया है रे, साया
क्या-क्या रस्ते ढूँढे, ना कहीं मिल पाया
पर साया ठहरा साया कि हाथों में ना आया
कोई सुबह जो मैं उठूँ
बुझे अगन, मिले सुकूँ, बावरा
गिनता रहता तारे, लोटूँ मैं अंगारे
खुद से लड़ता फ़िरता ये जग को ठोकर मारे
खींचे-खींचे बैठे, बैठे-बैठे भागे
ना सुनता खुद के आगे, ये पागल हो गया रे
गिनता रहता तारे, लोटूँ मैं अंगारे
खुद से लड़ता फ़िरता ये जग को ठोकर मारे
खींचे-खींचे बैठे, बैठे-बैठे भागे
ना सुनता खुद के आगे, ये पागल हो गया रे
ये दर्द क्यूँ? ये प्यास क्यूँ?
बिरह करे उदास क्यूँ?
ये रंज क्यूँ? तलाश क्यूँ? बता
बावरा
ठंडी आहें भर के, जीता है मर-मर के
प्यासा रह गया है ये दरिया से गुज़र के
धोखे से नज़र के, झोंके से उमर के
रेत के महल सा ढह गया है बिखर के
ठंडी आहें भर के, जीता है मर-मर के
प्यासा रह गया है ये दरिया से गुज़र के
धोखे से नज़र के, झोंके से उमर के
रेत के महल सा ढह गया है बिखर के
मन माने ना ये बात कि वो था बेगाना
है खुद से ही ख़फ़ा-ख़फ़ा
क्या चाहिए, नहीं पता, बावरा
पाया जो ना चाहा, चाहा वो ना पाया
जिसके पीछे भागे वो साया है रे, साया
क्या-क्या रस्ते ढूँढे, ना कहीं मिल पाया
पर साया ठहरा साया कि हाथों में ना आया
कोई सुबह जो मैं उठूँ
बुझे अगन, मिले सुकूँ, बावरा
गिनता रहता तारे, लोटूँ मैं अंगारे
खुद से लड़ता फ़िरता ये जग को ठोकर मारे
खींचे-खींचे बैठे, बैठे-बैठे भागे
ना सुनता खुद के आगे, ये पागल हो गया रे
गिनता रहता तारे, लोटूँ मैं अंगारे
खुद से लड़ता फ़िरता ये जग को ठोकर मारे
खींचे-खींचे बैठे, बैठे-बैठे भागे
ना सुनता खुद के आगे, ये पागल हो गया रे
ये दर्द क्यूँ? ये प्यास क्यूँ?
बिरह करे उदास क्यूँ?
ये रंज क्यूँ? तलाश क्यूँ? बता
बावरा
ठंडी आहें भर के, जीता है मर-मर के
प्यासा रह गया है ये दरिया से गुज़र के
धोखे से नज़र के, झोंके से उमर के
रेत के महल सा ढह गया है बिखर के
ठंडी आहें भर के, जीता है मर-मर के
प्यासा रह गया है ये दरिया से गुज़र के
धोखे से नज़र के, झोंके से उमर के
रेत के महल सा ढह गया है बिखर के
Writer(s): Aseem Ahmed Abbasi Lyrics powered by www.musixmatch.com