Seemayen Bulaye Songtext
von Alka Yagnik
Seemayen Bulaye Songtext
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
कोई राह देखे, भूल ना जाना
तुम बिन पल-पल रहूँगी मैं बेकल
बन के बिरहन
संग है तुम्हारे मेरे देस के सिपाही
मेरा मन, मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
तुम और मैं जो संग ना होंगे
तो होली में भी रंग ना होंगे
तुम और मैं जो संग ना होंगे
तो होली में भी रंग ना होंगे
बर्फ़ से ठंडी, कोयले से काली
तुम बिन होगी हर दीवाली
ओ, सीखेंगे बादल आँसू बहाना
आग लगाने को, जान जलाने को
होगा सावन
सावन की इस अग्नि का होगा इंधन
मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
घर के ये कमरे, आँगन-द्वारे
राह तकेंगे ये भी तो सारे
घर के ये कमरे, आँगन-द्वारे
राह तकेंगे ये भी तो सारे
ख़ाली रहेगी कुर्सी तुम्हारी
प्यासी रहेगी फूलों की क्यारी
ओ, तरसेगा तुमको सारा घराना
बाँहों को पसारे, सुनो, तुम्हीं को पुकारे
इस घर का आँगन
जाओ तुम चाहे कहीं साथ है मेरी धड़कन
मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
कोई राह देखे, भूल ना जाना
तुम बिन पल-पल रहूँगी मैं बेकल
बन के बिरहन
संग है तुम्हारे मेरे देश के सिपाही
मेरा मन, मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
कोई राह देखे, भूल ना जाना
तुम बिन पल-पल रहूँगी मैं बेकल
बन के बिरहन
संग है तुम्हारे मेरे देस के सिपाही
मेरा मन, मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
तुम और मैं जो संग ना होंगे
तो होली में भी रंग ना होंगे
तुम और मैं जो संग ना होंगे
तो होली में भी रंग ना होंगे
बर्फ़ से ठंडी, कोयले से काली
तुम बिन होगी हर दीवाली
ओ, सीखेंगे बादल आँसू बहाना
आग लगाने को, जान जलाने को
होगा सावन
सावन की इस अग्नि का होगा इंधन
मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले...
घर के ये कमरे, आँगन-द्वारे
राह तकेंगे ये भी तो सारे
घर के ये कमरे, आँगन-द्वारे
राह तकेंगे ये भी तो सारे
ख़ाली रहेगी कुर्सी तुम्हारी
प्यासी रहेगी फूलों की क्यारी
ओ, तरसेगा तुमको सारा घराना
बाँहों को पसारे, सुनो, तुम्हीं को पुकारे
इस घर का आँगन
जाओ तुम चाहे कहीं साथ है मेरी धड़कन
मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सुनो, जाने वाले, लौट के आना
कोई राह देखे, भूल ना जाना
तुम बिन पल-पल रहूँगी मैं बेकल
बन के बिरहन
संग है तुम्हारे मेरे देश के सिपाही
मेरा मन, मेरा मन, मेरा मन
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
सीमाएँ बुलाए तुझे, चल राही
सीमाएँ पुकारे, सिपाही
Writer(s): Javed Akhtar, Anu Malik Lyrics powered by www.musixmatch.com