Panchhi Sur Main Gaate Hain Songtext
von Udit Narayan
Panchhi Sur Main Gaate Hain Songtext
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
देखो, क्या घनेरे ऊँचे-ऊँचे पर्बतों के साए हैं
चल के, यूँ मचल के, रंग बदल के हम से मिलने आए हैं
ओ, देखो, क्या घनेरे ऊँचे-ऊँचे पर्बतों के साए हैं
चल के, यूँ मचल के, रंग बदल के हम से मिलने आए हैं
खुशबू है बहारों की, मस्ती है नज़ारों की
सब के दिल पे छाया है नशा
अरे, ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
नैया बिन खिवैया जाने कैसे साहिलों पे आती है?
धारा इस नदी की हर किसी को इक दिन तो मिलाती है
ओ, नैया बिन खिवैया जाने कैसे साहिलों पे आती है?
धारा इस नदी की हर किसी को इक दिन तो मिलाती है
सच्ची ये कहानी है, पानी ज़िंदगानी है
सारे जग को है ये पता
हो, ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
देखो, क्या घनेरे ऊँचे-ऊँचे पर्बतों के साए हैं
चल के, यूँ मचल के, रंग बदल के हम से मिलने आए हैं
ओ, देखो, क्या घनेरे ऊँचे-ऊँचे पर्बतों के साए हैं
चल के, यूँ मचल के, रंग बदल के हम से मिलने आए हैं
खुशबू है बहारों की, मस्ती है नज़ारों की
सब के दिल पे छाया है नशा
अरे, ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
नैया बिन खिवैया जाने कैसे साहिलों पे आती है?
धारा इस नदी की हर किसी को इक दिन तो मिलाती है
ओ, नैया बिन खिवैया जाने कैसे साहिलों पे आती है?
धारा इस नदी की हर किसी को इक दिन तो मिलाती है
सच्ची ये कहानी है, पानी ज़िंदगानी है
सारे जग को है ये पता
हो, ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
पंछी सुर में गाते हैं, भँवरे गुनगुनाते हैं
घुँघरू बजाती है हवा
ऐसे मुस्कुराती है, यूँ फ़िज़ा बुलाती है
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
जैसे हो ये मेरी दिलरुबा
Writer(s): Sameer Lyrics powered by www.musixmatch.com