Mausam Songtext
von Mithoon
Mausam Songtext
हो, ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
हो, जब तड़पता है कभी अपना कोई
खून के आँसू रुला दे बेबसी
जब तड़पता है कभी अपना कोई
खून के आँसू रुला दे बेबसी
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी?
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी?
जिसने ज़ख्मों को नहीं मरहम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी
वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं
अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी
वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं
बे-इरादा कुछ ख़ताएँ हम से हो गईं
राह में पत्थर मेरी हर-दम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
एक मुक़म्मल कश्मकश है ज़िंदगी
उसने हम से की कभी ना दोस्ती
एक मुक़म्मल कश्मकश है ज़िंदगी
उसने हम से की कभी ना दोस्ती
जब मिली, मुझको आँसू के वो तोहफ़े दे गई
हँस सकें हम, ऐसे मौक़े कम दिए
हँस सकें हम, ऐसे मौक़े कम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
हो, ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
हो, जब तड़पता है कभी अपना कोई
खून के आँसू रुला दे बेबसी
जब तड़पता है कभी अपना कोई
खून के आँसू रुला दे बेबसी
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी?
जी के फिर करना क्या मुझको ऐसी ज़िंदगी?
जिसने ज़ख्मों को नहीं मरहम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी
वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं
अपने भी पेश आएँ हम से अजनबी
वक्त की साज़िश कोई समझा नहीं
बे-इरादा कुछ ख़ताएँ हम से हो गईं
राह में पत्थर मेरी हर-दम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
एक मुक़म्मल कश्मकश है ज़िंदगी
उसने हम से की कभी ना दोस्ती
एक मुक़म्मल कश्मकश है ज़िंदगी
उसने हम से की कभी ना दोस्ती
जब मिली, मुझको आँसू के वो तोहफ़े दे गई
हँस सकें हम, ऐसे मौक़े कम दिए
हँस सकें हम, ऐसे मौक़े कम दिए
ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
जितने भी मौसम दिए, सब नम दिए
हो, ज़िंदगी ने ज़िंदगी-भर ग़म दिए
Writer(s): Sayeed Quadri Lyrics powered by www.musixmatch.com