Dil Kehta Hai Songtext
von Kumar Sanu & Alka Yagnik
Dil Kehta Hai Songtext
दिल कहता है चल उनसे मिल
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
दिल कहता है चल उनसे मिल
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
हम जब से हैं जुदा, ऐ मेरे हमनशीं
यूँ देखो तो मेरे, दामन में क्या नहीं
दौलत का चाँद है, शोहरत की चांदनी
मगर तुम्हें खो के, लगे है मुझे ऐसा
के तुम नहीं तो, कुछ भी नहीं
तुम क्या जानो अब हम कितना
दिल ही दिल में पछताते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
वो दिन थे क्या हसीं, दोनों थे साथ में
और बाहें आपकी, थी मेरे हाथ में
तुम ही तुम थे सनम, मेरे दिन रात में
पर इतनी बुलंदी, पे तुम हो मेरी जाँ
आये ना दामन अब हाथ में
पाना तुमको मुमकिन ही नहीं
सोचे भी तो हम घबराते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
दिल कहता है चल उनसे मिल
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
दिल कहता है चल उनसे मिल
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
हम जब से हैं जुदा, ऐ मेरे हमनशीं
यूँ देखो तो मेरे, दामन में क्या नहीं
दौलत का चाँद है, शोहरत की चांदनी
मगर तुम्हें खो के, लगे है मुझे ऐसा
के तुम नहीं तो, कुछ भी नहीं
तुम क्या जानो अब हम कितना
दिल ही दिल में पछताते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
वो दिन थे क्या हसीं, दोनों थे साथ में
और बाहें आपकी, थी मेरे हाथ में
तुम ही तुम थे सनम, मेरे दिन रात में
पर इतनी बुलंदी, पे तुम हो मेरी जाँ
आये ना दामन अब हाथ में
पाना तुमको मुमकिन ही नहीं
सोचे भी तो हम घबराते हैं
दिल हमको कभी समझाता है
हम दिल को कभी समझाते हैं
दिल कहता है चल उनसे मिल
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
उठते हैं कदम रुक जाते हैं
Writer(s): Majrooh Sultanpuri Lyrics powered by www.musixmatch.com