Hoor Songtext
von Atif Aslam
Hoor Songtext
लफ़्ज़ों के हसीं धागों में कहीं
पिरो रहा हूँ मैं कब से में हुज़ूर
कोशिशें ज़रा है निगाहों की
तुझे देखने की खता ज़रुर
"दीवानगी" कहूँ इसे या है मेरा फ़ितूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर
कैसे दूर तुझसे मैं रहूँ?
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
ख्वाबों में जो तू देखे मेरे
तुझसे ही होता इश्क़ है
"उल्फ़त" कहो इसे मेरी ना कहो है मेरा क़सूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर
पिरो रहा हूँ मैं कब से में हुज़ूर
कोशिशें ज़रा है निगाहों की
तुझे देखने की खता ज़रुर
"दीवानगी" कहूँ इसे या है मेरा फ़ितूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर
कैसे दूर तुझसे मैं रहूँ?
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
खामोशियाँ जो सुनले मेरी
इनमें तेरा ही ज़िक्र है
ख्वाबों में जो तू देखे मेरे
तुझसे ही होता इश्क़ है
"उल्फ़त" कहो इसे मेरी ना कहो है मेरा क़सूर
कोई हूर जैसे तू, कोई हूर जैसे तू
भीगे मौसम की भीगी सुबह का है नूर
Writer(s): Jigar Sachin, Priya Saraiya Lyrics powered by www.musixmatch.com