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Ek Lau (Aamir) Songtext
von Amit Trivedi

Ek Lau (Aamir) Songtext

गर्दिशों में रहती, बहती, गुज़रती
ज़िंदगियाँ हैं कितनी
इनमें से एक है तेरी-मेरी या कहीं
कोई एक जैसी अपनी

पर ख़ुदा ख़ैर कर, ऐसा अंजाम
किसी रूह को ना दे कभी यहाँ
गुंचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये जहाँ?

एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला


धूप के उजाले सी, ओस के प्याले सी
ख़ुशियाँ मिलें हम को
ज़्यादा माँगा है कहाँ, सरहदें ना हों जहाँ
दुनिया मिले हम को

पर ख़ुदा ख़ैर कर, उसके अरमान में
क्यूँ बेवजह हो कोई क़ुर्बां?
गुंचा मुस्कुराता एक वक़्त से पहले
क्यूँ छोड़ चला तेरा ये जहाँ?

एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला

एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला


एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी, मेरे मौला?
एक लौ ज़िंदगी की, मौला

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