Gham Judai Ka Songtext
von Altaf Raja
Gham Judai Ka Songtext
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर...
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
वो तो चल भी दिया दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या काश लेता ख़बर
नाम था जिसका...
नाम था जिसका ज़ुबाँ पर मेरी दुआ की तरह
नाम था जिसका ज़ुबाँ पर मेरी दुआ की तरह
वो ज़ख्म देता रहा मुझ को बेवफ़ा की तरह
वो तो चल भी दिया दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या काश लेता ख़बर
ये वो ग़म है जो होगा ना कम उम्र भर
होगा पानी का क्या पत्थरों पे असर?
इतना रोया हूँ मैं याद करके उसे
आँसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा
इतना रोया हूँ मैं याद करके उसे
आँसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
जिसकी ज़ुल्फ़ों से मैं खेलता था कभी
मेरे हाथों ने जिसको छुआ था कभी
मालूम नहीं था...
मालूम नहीं था कि मुक़द्दर के खेल में
मालूम नहीं था कि मुक़द्दर के खेल में
तुम मुझ से छूट जाओगे पल भर के मेल में
जिसकी ज़ुल्फ़ों से मैं खेलता था कभी
मेरे हाथों ने जिसको छुआ था कभी
मैं समझता रहा जिसको दिल की लगी
क्या ख़बर थी, वो बन जाएगी दिल्लगी
जिसके हर पल में थी तेरी खुशबू बसी
वो ज़माना मुझे भूल जाना पड़ा
जिसके हर पल में थी तेरी खुशबू बसी
वो ज़माना मुझे भूल जाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
जिसकी ख़ातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझ को मिला ये सिला
मेरी चाहत का सिला...
मेरी चाहत का सिला तेरी नज़र ने ना दिया
मेरी चाहत का सिला तेरी नज़र ने ना दिया
ज़िंदगी छीन ली इस तरह कि मरने ना दिया
जिसकी ख़ातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझ को मिला ये सिला
ग़ैर के साथ उसका मिलन हो गया
मेरी मजबूरियों की नहीं इंतहा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझ को ही गाना पड़ा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझ को ही गाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
वो तो चल भी दिया दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या काश लेता ख़बर
नाम था जिसका...
नाम था जिसका ज़ुबाँ पर मेरी दुआ की तरह
नाम था जिसका ज़ुबाँ पर मेरी दुआ की तरह
वो ज़ख्म देता रहा मुझ को बेवफ़ा की तरह
वो तो चल भी दिया दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या काश लेता ख़बर
ये वो ग़म है जो होगा ना कम उम्र भर
होगा पानी का क्या पत्थरों पे असर?
इतना रोया हूँ मैं याद करके उसे
आँसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा
इतना रोया हूँ मैं याद करके उसे
आँसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
जिसकी ज़ुल्फ़ों से मैं खेलता था कभी
मेरे हाथों ने जिसको छुआ था कभी
मालूम नहीं था...
मालूम नहीं था कि मुक़द्दर के खेल में
मालूम नहीं था कि मुक़द्दर के खेल में
तुम मुझ से छूट जाओगे पल भर के मेल में
जिसकी ज़ुल्फ़ों से मैं खेलता था कभी
मेरे हाथों ने जिसको छुआ था कभी
मैं समझता रहा जिसको दिल की लगी
क्या ख़बर थी, वो बन जाएगी दिल्लगी
जिसके हर पल में थी तेरी खुशबू बसी
वो ज़माना मुझे भूल जाना पड़ा
जिसके हर पल में थी तेरी खुशबू बसी
वो ज़माना मुझे भूल जाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ...
जिसकी ख़ातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझ को मिला ये सिला
मेरी चाहत का सिला...
मेरी चाहत का सिला तेरी नज़र ने ना दिया
मेरी चाहत का सिला तेरी नज़र ने ना दिया
ज़िंदगी छीन ली इस तरह कि मरने ना दिया
जिसकी ख़ातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझ को मिला ये सिला
ग़ैर के साथ उसका मिलन हो गया
मेरी मजबूरियों की नहीं इंतहा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझ को ही गाना पड़ा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझ को ही गाना पड़ा
ग़म जुदाई का यूँ तो बहुत था, मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
रोते-रोते हमें घर को आना पड़ा
Writer(s): Altaf Raja, Vaishnav Deva, Zaheer Alam Lyrics powered by www.musixmatch.com