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Tawaif Kahan Kisi Se Mohabbat Karti Hai Songtext
von Alka Yagnik

Tawaif Kahan Kisi Se Mohabbat Karti Hai Songtext

बजा बेरुख़ी है ये सरकार की
बजा बेरुख़ी है ये सरकार की
कि मैं चीज़ हूँ एक बाज़ार की

हो, तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है
मगर जब करती है...
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है

तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है

गुस्ताख़ी माफ़, मेरे लब पर आया है नाम शरीफ़ों का
गुस्ताख़ी माफ़, मेरे लब पर आया है नाम शरीफ़ों का
कहते हैं जिसको लोग "वफ़ा," वो तो है काम शरीफ़ों का, ओ-ओ

तवायफ़ कहाँ किसी के साथ शराफ़त करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ शराफ़त करती है
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है


कुछ और नहीं मैं कर सकती, बस रूठ के मैं रह जाती हूँ
कुछ और नहीं मैं कर सकती, बस रूठ के मैं रह जाती हूँ
जब लोग मुझे ठुकराते हैं तो टूट के मैं रह जाती हूँ, ओ-ओ

तवायफ़ कहाँ किसी से कभी शिक़ायत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी से कभी शिक़ायत करती है
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है

मैं लाज-शरम के पर्दे से फिर बाहर कभी ना आऊँगी
मैं लाज-शरम के पर्दे से फिर बाहर कभी ना आऊँगी
बस एक इशारा तुम कर दो...
बस एक इशारा तुम कर दो, मैं घुँघट में छुप जाऊँगी, ओ-ओ

तवायफ़ कहाँ तवायफ़ से बग़ावत करती है
तवायफ़ कहाँ तवायफ़ से बग़ावत करती है
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है

तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है
मगर जब करती है...
मगर जब करती है तो, हाए, क़यामत करती है
तवायफ़ कहाँ किसी के साथ मोहब्बत करती है

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