Mehfooz Songtext
von Yasser Desai
Mehfooz Songtext
तेरे ख़यालों से निकला नहीं हूँ मैं
तेरे ख़यालों से निकला नहीं हूँ मैं
ख़ुद में कहाँ हूँ, तुझमें कहीं हूँ मैं
छूने को तेरे लब
हर लम्हा मन करता है (करता है)
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
तेरी गलियों में हम तो बेनाम मुसाफ़िर थे
तेरी गलियों में हम तो बेनाम मुसाफ़िर थे
तुझसे जुड़ने से पहले हम तो एक क़ाफ़िर थे
हर शब होश उड़ते रहे
तेरी तरफ़ हम मुड़ते रहे, आवारा फिरता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
हम घर की चारदीवारों में हर शाम अकेले थे
हम घर की चारदीवारों में हर शाम अकेले थे
रातों में आवारा लम्हों से मिलते थे
फिर तेरी दस्तक हुई
मुझको तेरी आदत हुई, बेसाख़्ता कहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
तेरे ख़यालों से निकला नहीं हूँ मैं
ख़ुद में कहाँ हूँ, तुझमें कहीं हूँ मैं
छूने को तेरे लब
हर लम्हा मन करता है (करता है)
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
तेरी गलियों में हम तो बेनाम मुसाफ़िर थे
तेरी गलियों में हम तो बेनाम मुसाफ़िर थे
तुझसे जुड़ने से पहले हम तो एक क़ाफ़िर थे
हर शब होश उड़ते रहे
तेरी तरफ़ हम मुड़ते रहे, आवारा फिरता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
हम घर की चारदीवारों में हर शाम अकेले थे
हम घर की चारदीवारों में हर शाम अकेले थे
रातों में आवारा लम्हों से मिलते थे
फिर तेरी दस्तक हुई
मुझको तेरी आदत हुई, बेसाख़्ता कहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
दिल तेरी बाँहों में महफ़ूज़ रहता है
महफ़ूज़ रहता है, महफ़ूज़ रहता है
Writer(s): Shabbir Ahmed Lyrics powered by www.musixmatch.com