Jame Raho Songtext
von Vishal Dadlani
Jame Raho Songtext
कस के जूता, कस के belt
खोंस के अंदर अपनी shirt
मंज़िल को चली सवारी
कंधों पे ज़िम्मेदारी
हाथ में file, मन में दम
मीलों-मील चलेंगे हम
हर मुश्किल से टकरायेंगे
टस से मस ना होंगे हम
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
ये सोते भी हैं, tension आगे रहने की है tension
मेहनत इनको प्यारी है, एकदम आज्ञाकारी हैं
(आज्ञाकारी हैं)
ये omlet पर ही जीते हैं
ये tonic सारे पीते हैं
वक्त पे सोते, वक्त पे खाते
कान किसी ना पढ़ते जाते
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
यहाँ अलग अंदाज़ है
जैसे छिड़ता कोई साज़
हर काम को टाला करते हैं
ये सपने पाला करते हैं
ये हरदम सोचा करते हैं
ये ख़ुद से पूछा करते हैं
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
ये वक्त के कभी गुलाम नहीं
इन्हें किसी बात का ध्यान नहीं
तितली से मिलने जाते हैं
ये पेड़ों से बतियातें हैं
ये हवा बटोरा करते हैं, बारिश की बूँदें पढ़ते हैं
और आसमान के canvas पे ये कलाकारियाँ करते हैं
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
खोंस के अंदर अपनी shirt
मंज़िल को चली सवारी
कंधों पे ज़िम्मेदारी
हाथ में file, मन में दम
मीलों-मील चलेंगे हम
हर मुश्किल से टकरायेंगे
टस से मस ना होंगे हम
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
ये सोते भी हैं, tension आगे रहने की है tension
मेहनत इनको प्यारी है, एकदम आज्ञाकारी हैं
(आज्ञाकारी हैं)
ये omlet पर ही जीते हैं
ये tonic सारे पीते हैं
वक्त पे सोते, वक्त पे खाते
कान किसी ना पढ़ते जाते
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
दुनिया का नारा, जमे रहो
मंज़िल का इशारा, जमे रहो
यहाँ अलग अंदाज़ है
जैसे छिड़ता कोई साज़
हर काम को टाला करते हैं
ये सपने पाला करते हैं
ये हरदम सोचा करते हैं
ये ख़ुद से पूछा करते हैं
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
ये वक्त के कभी गुलाम नहीं
इन्हें किसी बात का ध्यान नहीं
तितली से मिलने जाते हैं
ये पेड़ों से बतियातें हैं
ये हवा बटोरा करते हैं, बारिश की बूँदें पढ़ते हैं
और आसमान के canvas पे ये कलाकारियाँ करते हैं
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
क्यूँ? दुनिया का नारा, जमे रहो
क्यूँ? मंज़िल का इशारा, जमे रहो
Writer(s): Shankar Mahadevan, Prasoon Joshi Lyrics powered by www.musixmatch.com