I Feel Good Songtext
von Vishal Dadlani & Shilpa Rao
I Feel Good Songtext
हल्का हल्का सा गुमा है
जाने क्या मुझे हुआ है
हर नज़र दर बदर अजनबी
हुमको भी यही गीला है
जो भी आज कल मिला है
हर कदम दूं बादाम अजनबी
इस तरफ जो है उदासी
इस तरफ भी है ज़रा सी
दिल की राहों के दो अजनबी
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
जब से जाना के अब ना जाना है फिर कभी भी तुझे
चाहतो से किनारा कर लिया
जब से सोचा के अब ना सोचेंगे फिर कभी भी तुम्हे
दिल ने कोई बहाना कर दिया
हो मेरे तुम्हारे दरमियाँ में
जो बातें हुई नही हैं
कभी दुआ में, कभी ज़ुबान में
क्यूँ तुमने कहीं नहीं हैं
कहने को तो क्या नहीं है
दर पे हर खुशी खड़ी है
फिर भी क्यूँ लग रही है कमी
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
ए मेरे खुदा, दूर कहीं क्या हो रही है सुबह
मिल गयी मुझे, मिल गयी तुझे वहाँ जीने की फिर वजह
तू जो कह दे तो मंज़िलें
मिल जायें यूँ आज फिर हमें तेरे मेरे यह रास्ते
लग जाए यूँ आज फिर गले
मिल भी तू तेरे फिराने
दौड़ती हूँ उस किनारे
हैं जहाँ पे मेरा अब जहाँ
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
जाने क्या मुझे हुआ है
हर नज़र दर बदर अजनबी
हुमको भी यही गीला है
जो भी आज कल मिला है
हर कदम दूं बादाम अजनबी
इस तरफ जो है उदासी
इस तरफ भी है ज़रा सी
दिल की राहों के दो अजनबी
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
जब से जाना के अब ना जाना है फिर कभी भी तुझे
चाहतो से किनारा कर लिया
जब से सोचा के अब ना सोचेंगे फिर कभी भी तुम्हे
दिल ने कोई बहाना कर दिया
हो मेरे तुम्हारे दरमियाँ में
जो बातें हुई नही हैं
कभी दुआ में, कभी ज़ुबान में
क्यूँ तुमने कहीं नहीं हैं
कहने को तो क्या नहीं है
दर पे हर खुशी खड़ी है
फिर भी क्यूँ लग रही है कमी
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
ए मेरे खुदा, दूर कहीं क्या हो रही है सुबह
मिल गयी मुझे, मिल गयी तुझे वहाँ जीने की फिर वजह
तू जो कह दे तो मंज़िलें
मिल जायें यूँ आज फिर हमें तेरे मेरे यह रास्ते
लग जाए यूँ आज फिर गले
मिल भी तू तेरे फिराने
दौड़ती हूँ उस किनारे
हैं जहाँ पे मेरा अब जहाँ
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
अंजाना कहने को ही था
मेरा था वो जो भी था अंजानी
है मगर नयी के तू
है यहीं कहीं
Writer(s): Vishal Dadlani Lyrics powered by www.musixmatch.com