Aasman Ki Dukaan Songtext
von Swarathma
Aasman Ki Dukaan Songtext
आसमान की दुकान वाले
खोल तू अपने दिल के ताले
खोल तू अपने दिल के ताले
आसमान की दुकान वाले
आसमान की दुकान वाले
खोल तू अपने दिल के ताले
खोल तू अपने दिल के ताले
आसमान की दुकान वाले
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
होगा तू सिकंदर अपने गाँव का
हम से ना अकड़ना, हम हैं बेशरम
तेरे वादे झूठे, तू भी झूठ है
मज़हबों में ख़ुद को बेच थोड़ा कम
होगा तू सिकंदर अपने गाँव का
हम से ना अकड़ना, हम हैं बेशरम
तेरे वादे झूठे, तू भी झूठ है
मज़हबों में ख़ुद को बेच थोड़ा कम
करेंगे हम नाक में दम-दम-दम
उड़ाएँगे धुएँ में बम-बम-बम
नचाएँगे तुझे भी छम-छम-छम
छम-छम-छम, छम-छम-छम
छम-छम-छम, छम-छम-छम
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
धरती पे तेरे १०० दलाल हैं
हर गली में तेरी शाखा, हर क़दम
लुटते हैं ख़ुल के ग्राहक तेरे
ऐसे उल्लुओं को क्यूँ दिया जनम?
धरती पे तेरे १०० दलाल हैं
हर गली में तेरी शाखा, हर क़दम
लुटते हैं ख़ुल के ग्राहक तेरे
ऐसे उल्लुओं को क्यूँ दिया जनम?
अक़ल से कम ये तेरे हमदम-दम
पत्थर को खिलाएँ चम-चम-चम
नगाड़े फिर बजाएँ धम-धम-धम
धम-धम-धम, धम-धम-धम
धम-धम-धम, धम-धम-धम
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
खोल तू अपने दिल के ताले
खोल तू अपने दिल के ताले
आसमान की दुकान वाले
आसमान की दुकान वाले
खोल तू अपने दिल के ताले
खोल तू अपने दिल के ताले
आसमान की दुकान वाले
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
होगा तू सिकंदर अपने गाँव का
हम से ना अकड़ना, हम हैं बेशरम
तेरे वादे झूठे, तू भी झूठ है
मज़हबों में ख़ुद को बेच थोड़ा कम
होगा तू सिकंदर अपने गाँव का
हम से ना अकड़ना, हम हैं बेशरम
तेरे वादे झूठे, तू भी झूठ है
मज़हबों में ख़ुद को बेच थोड़ा कम
करेंगे हम नाक में दम-दम-दम
उड़ाएँगे धुएँ में बम-बम-बम
नचाएँगे तुझे भी छम-छम-छम
छम-छम-छम, छम-छम-छम
छम-छम-छम, छम-छम-छम
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
धरती पे तेरे १०० दलाल हैं
हर गली में तेरी शाखा, हर क़दम
लुटते हैं ख़ुल के ग्राहक तेरे
ऐसे उल्लुओं को क्यूँ दिया जनम?
धरती पे तेरे १०० दलाल हैं
हर गली में तेरी शाखा, हर क़दम
लुटते हैं ख़ुल के ग्राहक तेरे
ऐसे उल्लुओं को क्यूँ दिया जनम?
अक़ल से कम ये तेरे हमदम-दम
पत्थर को खिलाएँ चम-चम-चम
नगाड़े फिर बजाएँ धम-धम-धम
धम-धम-धम, धम-धम-धम
धम-धम-धम, धम-धम-धम
घर के तेरे १०,००० माले
आसमान की दुकान वाले
सीढ़ियाँ उतर के आजा नीचे
वरना हम नहीं सुधरने वाले
Writer(s): Christopher Peter Maxfield Lyrics powered by www.musixmatch.com