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Zindagi Ki Bansuri Par Songtext
von Suman Kalyanpur

Zindagi Ki Bansuri Par Songtext

ज़िंदगी की बाँसुरी पर गीत कैसे गा सकूँगी
ज़िंदगी की बाँसुरी पर गीत कैसे गा सकूँगी
मैं सिसकते इन स्वरों से कैसे मन बहला सकूँगी
ज़िंदगी की बाँसुरी...

देवता तुमको बना कर की समर्पित मैंने पूजा
आज तक आया ना कोई मेरे मन में और दूजा


ये कहाँ मुझको पता था, मैं ना तुमको पा सकूँगी
मैं सिसकते इन स्वरों से कैसे मन बहला सकूँगी
ज़िंदगी की बाँसुरी...

मैं भी हूँ कैसे अभागन, छू सकी ना ये चरण
एक ही मेरे लिए है, अब हो जीवन या मरण

भेद ये कैसे किसी को मैं भला समझा सकूँगी
मैं सिसकते इन स्वरों से कैसे मन बहला सकूँगी
ज़िंदगी की बाँसुरी पर गीत कैसे गा सकूँगी
मैं सिसकते इन स्वरों से कैसे मन बहला सकूँगी
ज़िंदगी की बाँसुरी...

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