Raat Ki Daldal Hai Songtext
von Sukhwinder Singh
Raat Ki Daldal Hai Songtext
रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
सहमी-सहमी हैं दिशाएँ, जैसे कुछ खोने को है
साँस रोके हैं हवाएँ, जाने क्या होने को है
सहमी-सहमी हैं दिशाएँ, जैसे कुछ खोने को है
साँस रोके हैं हवाएँ, जाने क्या होने को है
मौत छुपी झाड़ी-झाड़ी रे, झाड़ी रे
ओ, रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
दिल के आँगन में हैं फैले साए कैसे ख़ौफ़ के?
रो रहे हैं यूँ अँधेरे, काँप जाए जो सुने
दिल के आँगन में हैं फैले साए कैसे ख़ौफ़ के?
रो रहे हैं यूँ अँधेरे, काँप जाए जो सुने
डूबी समय की है नाड़ी रे, नाड़ी रे
ओ, रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
सहमी-सहमी हैं दिशाएँ, जैसे कुछ खोने को है
साँस रोके हैं हवाएँ, जाने क्या होने को है
सहमी-सहमी हैं दिशाएँ, जैसे कुछ खोने को है
साँस रोके हैं हवाएँ, जाने क्या होने को है
मौत छुपी झाड़ी-झाड़ी रे, झाड़ी रे
ओ, रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
दिल के आँगन में हैं फैले साए कैसे ख़ौफ़ के?
रो रहे हैं यूँ अँधेरे, काँप जाए जो सुने
दिल के आँगन में हैं फैले साए कैसे ख़ौफ़ के?
रो रहे हैं यूँ अँधेरे, काँप जाए जो सुने
डूबी समय की है नाड़ी रे, नाड़ी रे
ओ, रात की दलदल है गाढ़ी रे, गाढ़ी रे
धड़कन की चले कैसे गाड़ी रे, गाड़ी रे?
Writer(s): Javed Akhtar Lyrics powered by www.musixmatch.com