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Desh Ki Mitti Songtext
von Sonu Nigam & Anuratha Sriram

Desh Ki Mitti Songtext

हो, मुझे याद आती है
मुझे याद आती है

अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है
अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है

कभी बहलाती है, कभी तड़पाती है...
कभी बहलाती है, कभी तड़पाती है, मुझे याद आती है
हो, अपने देस की मिट्टी...
अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है

बीते पल छूने लगे हैं दिल को ऐसे
दोस्त रखे हाथ कंधे पे जैसे
कैसी ये किरणें सी छन रही हैं
कैसी तस्वीरें सी बन रही हैं


कितने मौसम यादों में हैं आते-जाते
बारिश आई, ख़ुल गए हैं काले छाते
दिन हैं अलसाए हुए जो आई गर्मी
सर्दियों की धूप में है कैसी नर्मी

पल-पल एक समय की नदिया है, जो बहती जाती है
अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है

पिघले तन्हाइयों के हैं जो अँधेरे
जगमगाने से लगे हैं कितने चेहरे
एक लोरी है, एक लाल बिंदिया
लौट आई है मेरे बचपन की निंदिया

ओ, कोई एक तारे पे कब से गा रहा है
कोई आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
हर घड़ी नई बात एक याद आ रही है
दिल में पगडंडी सी जैसे बन गई है

ये पगडंडी मेरे दिल से मेरे देस जाती है
अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है
अपने देस की मिट्टी की ख़ुशबू मुझे याद आती है
मुझे याद आती है

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