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Tu Fiza Hai Songtext
von Sonu Nigam & Alka Yagnik

Tu Fiza Hai Songtext

फ़िज़ा, फ़िज़ा
फ़िज़ा, hey, फ़िज़ा

तू हवा है, फ़िज़ा है, ज़मीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यूँ बरसती नहीं?
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ, मेरे आशियाने में आ

तू हवा है, फ़िज़ा है, ज़मीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यूँ बरसती नहीं?
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ, मेरे आशियाने में आ

मैं हवा हूँ, कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैंने तिनके उठाए हुए हैं परों पर
आशियाना नहीं है मेरा

घने एक पेड़ से मुझे
झोंका कोई लेके आया है
सूखे एक पत्ते की तरह
हवा ने हर तरफ़ उड़ाया है


आना, आ
Hey, आना, आ, इक दफ़ा इस ज़मीं से उठें
पाँव रखें हवा पर, ज़रा सा उड़ें

चल, चलें हम जहाँ, कोई रस्ता ना हो
कोई रहता ना हो, कोई बसता ना हो
कहते हैं, आँखों में मिलती है ऐसी जगह
फ़िज़ा, फ़िज़ा

मैं हवा हूँ, कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैंने तिनके उठाए हुए हैं परों पर
आशियाना नहीं है मेरा

तुम मिले तो क्यूँ लगा मुझे
ख़ुद से मुलाक़ात हो गई?
कुछ भी तो कहा नहीं, मगर
ज़िंदगी से बात हो गई

आना, आ
Hey, आना, आ, साथ बैठें ज़रा देर तो
हाथ थामे रहें और कुछ ना कहें

छू के देखें तो आँखों की ख़ामोशियाँ
कितनी चुप-चाप होती हैं सरगोशियाँ
सुनते हैं, आँखों में होती है ऐसी सदा
फ़िज़ा, फ़िज़ा


तू हवा है, फ़िज़ा है, ज़मीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यूँ बरसती नहीं?
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ, मेरे आशियाने में आ

मैं हवा हूँ, कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैंने तिनके उठाए हुए हैं परों पर
आशियाना नहीं है मेरा

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