Lahu Munh Lag Gaya Songtext
von Shail Hada
Lahu Munh Lag Gaya Songtext
હે જી રે
उड़े-उड़े मन उड़े, पर लगे तेरे संग जुड़े
मन उड़े, पग बढ़े, तेरी ओर बढ़े, जग छोड़ बढ़े
ए, लहू मुँह लग गया
लहू मुँह लग गया
सोया था नस-नस में, अब ये जग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
बचके सब से लब से लब, ये रग से रग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
भटक रही है आँख ये मलंग अंग, अंग, अंग
अटक गई है साँस उसके संग, संग, संग, संग
कल-कल बहता था, छल-छल रहता था
कल-कल बहता था, छल-छल रहता था
चाँद लेके जाने कब गया
लब से लब, ये लब, लब से लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लहू मुँह लग गया
सोया था नस-नस में, अब ये जग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लब से लब, ये लब, लब से लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
उड़े-उड़े मन उड़े, पर लगे तेरे संग जुड़े
मन उड़े, पग बढ़े, तेरी ओर बढ़े, जग छोड़ बढ़े
ए, लहू मुँह लग गया
लहू मुँह लग गया
सोया था नस-नस में, अब ये जग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
बचके सब से लब से लब, ये रग से रग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
भटक रही है आँख ये मलंग अंग, अंग, अंग
अटक गई है साँस उसके संग, संग, संग, संग
कल-कल बहता था, छल-छल रहता था
कल-कल बहता था, छल-छल रहता था
चाँद लेके जाने कब गया
लब से लब, ये लब, लब से लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लहू मुँह लग गया
सोया था नस-नस में, अब ये जग गया
ए, लहू मुँह लग गया
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लबों के छूने से, ख़्वाबों के कोने से
लब से लब, ये लब, लब से लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
ए, लहू मुँह लग गया
Writer(s): Sanjay Navin Bhansali, Siddharth Singh, Garima Wahal Lyrics powered by www.musixmatch.com