Sari Duniya Ka Boj (Theme Of Coolie) Songtext
von Shabbir Kumar
Sari Duniya Ka Boj (Theme Of Coolie) Songtext
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
उठाते हैं, बोझ उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यही पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
चार का काम हैं, एक का दाम हैं
चार का काम हैं, एक का दाम हैं
खून मत पीजिए और कुछ दीजिए
एक रुपया है कम हमें खुदा की कसम
बड़ी मेहनत से रोटी कमाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गई, प्यास भी बुझ गई
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गई, प्यास भी बुझ गई
काम हर हाल में, नाम को साल में
ईद की एक छुट्टी मनाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जब सताते है ग़म, ऐश करते हैं हम
जब सताते है ग़म, ऐश करते हैं हम
बीड़ी पीते हैं और पान खाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यही पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
उठाते हैं, बोझ उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यही पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
चार का काम हैं, एक का दाम हैं
चार का काम हैं, एक का दाम हैं
खून मत पीजिए और कुछ दीजिए
एक रुपया है कम हमें खुदा की कसम
बड़ी मेहनत से रोटी कमाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गई, प्यास भी बुझ गई
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गई, प्यास भी बुझ गई
काम हर हाल में, नाम को साल में
ईद की एक छुट्टी मनाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जब सताते है ग़म, ऐश करते हैं हम
जब सताते है ग़म, ऐश करते हैं हम
बीड़ी पीते हैं और पान खाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यही पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
Writer(s): Anand Bakshi, Laxmikant Pyarelal Lyrics powered by www.musixmatch.com