Laga Nazariya Ka Dhakka Songtext
von Sadhana Sargam & Vinod Rathod
Laga Nazariya Ka Dhakka Songtext
हमको पुकारा करजवा दबाई के
हमको पुकारा...
हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत इन्हीं से पूछो
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
हाँ, हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत हमरी ना पूछो
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
ये मेरे पीछे चले आए कैसे, इतना तो कोई ज़रा इनसे पूछे
क्या दबदबा है इनकी गली मेें, कोई ना निकले बिना इनसे पूछे
सूरज ना निकले बिना इनसे पूछे
फिर भी नाम बदल के ई मजनूँ के चच्चा पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
अब तो चलेंगे हम भी वहाँ तक, साँवल गोरी चलोगी जहाँ तक
ऐसों को थोड़ी उँगली थमा दो, फिर तो ना पूछो, ये पहुँचे कहाँ तक?
फिर तो ना पूछो, ये पहुँचे कहाँ तक?
कोई पहुँचे ना पहुँचे, जी हम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत हमरी ना पूछो
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
हमको पुकारा...
हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत इन्हीं से पूछो
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
हाँ, हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत हमरी ना पूछो
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
ये मेरे पीछे चले आए कैसे, इतना तो कोई ज़रा इनसे पूछे
क्या दबदबा है इनकी गली मेें, कोई ना निकले बिना इनसे पूछे
सूरज ना निकले बिना इनसे पूछे
फिर भी नाम बदल के ई मजनूँ के चच्चा पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
अब तो चलेंगे हम भी वहाँ तक, साँवल गोरी चलोगी जहाँ तक
ऐसों को थोड़ी उँगली थमा दो, फिर तो ना पूछो, ये पहुँचे कहाँ तक?
फिर तो ना पूछो, ये पहुँचे कहाँ तक?
कोई पहुँचे ना पहुँचे, जी हम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
हमको पुकारा करजवा दबाई के
गोरी ने देखा जो घुँधटा उठाई के
फिर क्या हुई गत हमरी ना पूछो
लागा नजरिया का धक्का, बलम कलकत्ता पहुँच गए
लागा नजरिया का धक्का तो हम कलकत्ता पहुँच गए
Writer(s): Dev Kohli Lyrics powered by www.musixmatch.com