Bezubaan Phir Se Songtext
von Sachin-Jigar
Bezubaan Phir Se Songtext
जान ले किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी
आऊं किस्मत के आड़े
ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ
पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर
तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर
हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर
Everytime I′ll tell myself
Ok, get up
Everytime I'll tell myself
जान ले क़िस्मत ने बांटे है
राहों में कांटे है
ना रोके रखूं तू गिरा, मैं उठूँ
रेगज़ारों में, आग है जितनी
है लहू खोलता मेरा इन रागों में फिर भी
खाक्सारों को, ख़ाक ही काफी
रास मुझको है ख़ामोशी मेरी
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
जान ले की किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे हैं
की की किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे हैं
सौ सवाल हैं, सौ है लानते
मेरे तरानों पे, लगी है कालिखें
ये आग सपनों की, राख हाथों में
सूनी आँखों में जलती उम्मीद है आखरी
ना मिला मौका, ना मिली माफ़ी
कहदो कितनी सजा और बाकी
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
जान ले किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी
आऊं किस्मत के आड़े
ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ
पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर
तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर
हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर
राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी
आऊं किस्मत के आड़े
ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ
पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर
तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर
हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर
Everytime I′ll tell myself
Ok, get up
Everytime I'll tell myself
जान ले क़िस्मत ने बांटे है
राहों में कांटे है
ना रोके रखूं तू गिरा, मैं उठूँ
रेगज़ारों में, आग है जितनी
है लहू खोलता मेरा इन रागों में फिर भी
खाक्सारों को, ख़ाक ही काफी
रास मुझको है ख़ामोशी मेरी
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
जान ले की किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे हैं
की की किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे हैं
सौ सवाल हैं, सौ है लानते
मेरे तरानों पे, लगी है कालिखें
ये आग सपनों की, राख हाथों में
सूनी आँखों में जलती उम्मीद है आखरी
ना मिला मौका, ना मिली माफ़ी
कहदो कितनी सजा और बाकी
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
बेज़ुबान कब से मैं रहा
बेगुनाह सहता मैं रहा
जान ले किस्मत ने बांटे हैं
राहों में कांटे और मैं भी हूँ ज़िद्दी
आऊं किस्मत के आड़े
ना रोके रुकूँ, तू गिरा मैं उठूँ
पिंजरे तोड़कर फैलाउंगा मैं पर
तुझमें जितना है ज़ोर तू लगा ले मगर
हंस के कट जाएगा, ना झुकेगा ये सर
Writer(s): Jigar Sachin, Mayur Puri, Sachin Jaykishore Sanghvi Lyrics powered by www.musixmatch.com