Songtexte.com Drucklogo

Raat Ke Musafir Songtext
von Rahul Ram

Raat Ke Musafir Songtext

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन, बान,शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन, बान,शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड

मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है


मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है
ईश की पुकार है
ये भागवत का सार है
की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है

कौरवों की भीड़ हो
या पांडवो का नीड हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है

जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या जिंदगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो
मौत से भी क्यों डरे
ये जाके आसमानो में दहाड़ दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन, बान,शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड


हो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घाव तुम ये सोच लो
हो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या की पूरे भाल पर जल रहे विजय का लाल
लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदुंग केसरी हो
या की केसरी हो लाल तुम ये सोच लो

जिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती नसों में आज
फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन, बान,शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड
आरम्भ है प्रचंड
आरम्भ है प्रचंड

Songtext kommentieren

Log dich ein um einen Eintrag zu schreiben.
Schreibe den ersten Kommentar!

Fans

»Raat Ke Musafir« gefällt bisher niemandem.